Tue, 08 Apr 2025 21:25:05 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: जंसा/एक हंसती-खेलती ज़िंदगी जब ट्रैक पर अंतिम सांसों में तब्दील हो जाए, तो समाज को अपने ही आईने में झांकना पड़ता है। मंगलवार दोपहर बाद, चौखंडी रेलवे स्टेशन के पश्चिमी छोर पर, महाकाल एक्सप्रेस की गड़गड़ाहट के आगे एक दर्द भरी चीख गुम हो गई, और फिर सन्नाटा।
30 वर्षीय मीनू पटेल ने अपने दोनों मासूम बेटों विप्लव (6 वर्ष) और विपुल (4 वर्ष) के साथ ट्रेन के आगे छलांग लगाकर जीवन की सारी लड़ाइयों का अंत कर दिया। लेकिन उनके इस आत्मघाती कदम ने एक नई जंग छेड़ दी। घरेलू हिंसा, सामाजिक असंवेदनशीलता और प्रशासनिक उपेक्षा के खिलाफ।
सपनों की शुरुआत और सिसकियों का अंत
भदया (हाथी) गांव निवासी मीनू की शादी सात साल पहले हरसोस गांव के विकास पटेल से हुई थी। सूरत में नौकरी करने वाले विकास के मन में शक का ज़हर इस कदर भर चुका था कि वो मीनू को आए दिन मोबाइल पर प्रताड़ित करता था। घर खर्च तक न देने वाला विकास, शक के नाम पर पत्नी को मानसिक यातना देता रहा।
मीनू की तकलीफ यहीं खत्म नहीं हुई। उसके ससुराल वाले सास, ससुर और जेठान उस पर हाथ उठाने लगे। कुछ दिन पहले उन्होंने मीनू को मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया। बेचारी मीनू न्याय की उम्मीद लेकर जंसा थाने गई, महिला हेल्प डेस्क से मदद मांगी। लेकिन अफसोस, उसे सिर्फ कार्रवाई का दिलासा मिला और वापस भेज दिया गया।
घुटन, ताले और चुप्पियों की सज़ा
घर लौटी मीनू को घर में घुसने तक नहीं दिया गया। कमरे पर ताला जड़ दिया गया और बेबसी का बोझ उसके कांधों पर और बढ़ गया। जब उसने पति विकास को इस बारे में बताया, उसने भी मदद से इनकार कर दिया। मायके वालों के पहुंचने पर भी गाली-गलौज कर उन्हें भगा दिया गया। इस सामाजिक बहिष्कार और पारिवारिक प्रताड़ना से टूट चुकी मीनू ने आख़िरकार अपने दोनों नन्हें बच्चों को साथ लेकर जीवन से विदाई ले ली।
आख़िर कब तक यूं ही दम तोड़ेंगी मीनू जैसी बेटियां
मीनू की चीखें अब थम चुकी हैं, लेकिन उनका दर्द पूरे इलाके में गूंज रहा है। इस हृदयविदारक घटना ने एक साथ तीन जिंदगियों को छीन लिया और पीछे छोड़ दी एक गंभीर सामाजिक सवाल, कब तक एक स्त्री को अपनी ही गृहस्थी में पराया समझा जाएगा।
कार्रवाई की शुरुआत – न्याय की राह लंबी
जंसा पुलिस ने मृतका के भाई कमलेश की तहरीर पर सास सुदामा, ससुर लोदी, जेठान रेशमा और पति विकास के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल पुलिस ने तीनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।
समाप्ति नहीं, चेतावनी है यह घटना
मीनू की मौत एक त्रासदी नहीं, बल्कि चेतावनी है। समाज को, प्रशासन को, और हमें सबको। एक महिला जब सिस्टम और संबंधों दोनों से हार जाती है, तो उसकी मौत सिर्फ आंकड़ा नहीं होती, वो एक कड़ी चुभती हुई पुकार होती है कि अब भी अगर हम न बदले, तो हर गली में एक मीनू चुपचाप मरती रहेगी।
यूपी खबर – आपकी आवाज़, आपकी संवेदना।
यदि आपके आस-पास कोई महिला घरेलू हिंसा का शिकार है, तो चुप न रहें। आवाज़ उठाएं। ये खबर सिर्फ एक कहानी नहीं, एक ज़िम्मेदारी है।