Sun, 13 Apr 2025 09:55:08 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
लखनऊ: उत्तर प्रदेश इस समय मौसम के प्रचंड रूप का साक्षी बना हुआ है। शुक्रवार देर रात से शुरू हुई आंधी-तूफान और बारिश की यह तबाही शनिवार और रविवार तक जारी रही, जिसमें अब तक 14 लोगों की जान जा चुकी है। कई जिलों में पेड़, दीवार और बिजली के खंभे गिरने से हादसे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर किसान, फसलें और यातायात व्यवस्था—सब पर इस मौसम ने भारी असर डाला है।
वाराणसी में कुदरत का कोहराम: आंधी, तेज बारिश, गरजते बादल और बिजली की तड़क
रविवार सुबह से ही वाराणसी का आसमान अशांत है। तेज आंधी की शुरुआत के साथ ही बादलों की जोरदार गर्जना और बिजली की चमक ने भय का माहौल बना दिया। करीब 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली आंधी ने जैसे ही शहर को झकझोरा, उसके कुछ ही देर बाद मूसलधार बारिश शुरू हो गई। गरजते बादलों और आसमान को चीरती बिजली की चमक ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया। घाटों, गलियों और मकानों की छतों पर बारिश का पानी जम गया, तो वहीं सड़कों पर पेड़ और खंभे गिरे पड़े हैं।
मथुरा की सड़कों पर ओलों की सफेद चादर
ब्रज में मौसम ने अलग ही रूप दिखाया। मथुरा में बीती रात तेज ओलावृष्टि ने ऐसा मंजर रचा कि सड़कों पर बर्फ की परत जैसी सफेदी बिछ गई। ओलों की मार इतनी जबरदस्त थी कि आम, तरबूज, लौकी और सब्ज़ी की फसलों को व्यापक नुकसान हुआ। ग्रामीण इलाकों में बिजली गुल हो गई और किसान अपनी बर्बाद फसलें देखकर टूट गए।
कई जिलों में मौतें, रेलवे और सड़क यातायात प्रभावित
कानपुर, हरदोई, फर्रुखाबाद, कासगंज, मैनपुरी, फिरोजाबाद, बदायूं और महराजगंज जैसे जिलों में कुल 14 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। कहीं पेड़ गिरने से लोग दबे, तो कहीं दीवारें ढह गईं। रेलवे ट्रैक पर पेड़ गिरने से शिकोहाबाद-फर्रुखाबाद मार्ग बाधित हो गया, जिससे कई ट्रेनें रुकी रहीं।
फसलों पर डाका, खलिहानों में तबाही
शाहजहांपुर और आसपास के इलाकों में गेहूं, मक्का, और आम की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। तेज हवाओं के कारण खुदागंज में आग लग गई, जिससे डेढ़ सौ बीघा गेहूं जल गया। खलिहानों में रखा भूसा और अनाज भी भीग गया है।
मौसम विभाग की ताजा भविष्यवाणी
लखनऊ के मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार रविवार देर शाम से मौसम में सुधार आने की संभावना है। सोमवार से तापमान में बढ़ोतरी के साथ स्थिति सामान्य होने लगेगी। हालांकि, पूर्वी इलाकों में कहीं-कहीं हल्की बारिश और गरज-चमक बनी रह सकती है।
यह मौसमीय तांडव न केवल प्राकृतिक चेतावनी है, बल्कि हमारी तैयारी और संरचना की परीक्षा भी है। अब ज़रूरत है सतर्कता और समझदारी की, ताकि इस तरह की आपदाओं से जान और माल की हानि को कम किया जा सके।