वाराणसी: रामनगर/दिव्यांग विनोद जायसवाल ने संभाली शराबबंदी की कमान, कवि टोला में मानवीय जज़्बे की गूंज

रामनगर में दिव्यांग विनोद जायसवाल ने शराबबंदी के लिए अनशन शुरू किया, जो कवि टोला में देसी शराब के ठेके के खिलाफ एक जन-आंदोलन बन गया है, जिसमें उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी से हस्तक्षेप की मांग की है।

Sat, 12 Apr 2025 18:47:10 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: रामनगर/शब्दों से नहीं, संकल्प से बदलती है दुनिया, और इस संकल्प की मिसाल बने हैं रामनगर के कवि टोला के दिव्यांग विनोद जायसवाल, जिन्होंने शराबबंदी के लिए अपनी आवाज़ बुलंद कर दी है। यह सिर्फ विरोध नहीं, बल्कि एक जन-आंदोलन की दस्तक है। एक ऐसा आंदोलन जिसमें मानवीय संवेदना, सामाजिक ज़िम्मेदारी और बदलाव की तड़प साफ झलकती है।

कवि टोला बना परिवर्तन का केंद्र

कवि टोला, जहां संस्कृति की सांसें बसी हैं, अब वहां एक नई क्रांति की लहर उठ रही है। क्षेत्र में खुले देसी शराब के ठेके के खिलाफ़ स्थानीय निवासियों का क्रमिक अनशन बीते कई दिनों से जारी है। लेकिन आज इस आंदोलन को एक नया आयाम मिला, जब दिव्यांग विनोद जायसवाल खुद इस लड़ाई की कमान संभालते हुए अनशन पर बैठ गए।

बोलते नहीं, जीते हैं जज़्बा

विनोद, जो शारीरिक रूप से भले ही दिव्यांग हैं, पर उनके हौसले किसी पर्वत से कम नहीं। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, यह सिर्फ एक दुकान नहीं, हमारे समाज को खोखला करने वाली जड़ है। प्रधानमंत्री मोदी जी, मुख्यमंत्री योगी जी और हमारे जनप्रिय विधायक सौरभ श्रीवास्तव जी से मैं अपील करता हूं कि इसे तुरंत बंद कराया जाए। मैं पत्र लिख चुका हूं, शिकायतें भेज चुका हूं, और अब सड़क पर बैठा हूं। लेकिन मेरा विश्वास अडिग है। ये सरकार जनता की है, और जनता की पीड़ा को सुना जाएगा।

दर्द की आवाज़ बना ये आंदोलन

उनके साथ अनशन पर बैठीं आशा देवी, चंद्रकला देवी, दीपमाला, सुमन देवी, रेखा गुप्ता, मीरा देवी, सुनीता देवी, सुषमा देवी, गुड़िया देवी समेत कई महिलाओं की आंखों में आक्रोश नहीं, एक अपील है। बच्चों का भविष्य बचाने की, घर को टूटने से बचाने की।

पुरुषों में सागर गुप्ता, राहुल गुप्ता, पिंटू जायसवाल, उत्कर्ष जायसवाल, शतरंज संजय यादव और यश जायसवाल ने इस आंदोलन को जन-आवाज दी है।

एक दिव्यांग, एक जज़्बा — जो सरकार को झकझोर दे

यह सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि समाज की आत्मा से उठी पुकार है। विनोद का संघर्ष दिखाता है कि जब व्यक्ति अपने व्यक्तिगत दुख को सामूहिक चेतना में बदल दे, तो वह आंदोलन बन जाता है।

यूपी खबर की अपील:

आज जरूरत है कि शासन-प्रशासन इस संवेदनशील मसले पर तुरंत ध्यान दे। यह ठेका केवल शराब नहीं बेच रहा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी दांव पर लगा रहा है।
विनोद का यह त्याग, उनका संघर्ष, और उनका विश्वास, एक मिसाल है। हमें इसे न सिर्फ सुनना चाहिए, बल्कि समझना चाहिए।

रामनगर की गूंज अब लखनऊ तक जानी चाहिए।
क्योंकि जब एक दिव्यांग आवाज़ उठाता है, तो पूरा समाज सुनता है।

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