Fri, 11 Apr 2025 21:40:07 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
नोएडा: सेक्टर-27 स्थित एक ओयो होटल में गुरुवार को जो कुछ हुआ, उसने न सिर्फ एक ज़िंदगी को लील लिया, बल्कि कई सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रेम, पशु-प्रेम, संवेदना और आत्महत्या के बीच झूलती एक करुण कथा, जिसे भुला पाना मुश्किल होगा।
उमेश की आखिरी सुबह
प्राप्त जानकारी के अनुसार 38 वर्षीय उमेश सिंह, मूल रूप से हाथरस की आवास विकास कॉलोनी का निवासी था। पेशे से इंजीनियर और मन से शायद एक भावुक प्रेमी। गुरुवार सुबह तक सब कुछ सामान्य था। वह अपनी 22 वर्षीय प्रेमिका और उनके साथ आए एक कुत्ते के साथ सेक्टर-27 स्थित वेमेशन ओयो होटल में ठहरा था। लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते हालात ऐसे करवट ले लेंगे, किसी ने नहीं सोचा था।
होटल में चेक-इन करने के बाद दोनों ने साथ में खाना खाया। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ, जो अब एक दर्दनाक खबर बन चुका है। दोनों के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी शुरू हुई। प्रेमिका के अनुसार, यह विवाद उनके पालतू कुत्ते के इलाज को लेकर था। महज कुछ पलों की कहासुनी के बाद उमेश ने वह कदम उठा लिया, जिसकी भरपाई अब कोई नहीं कर सकता।
एक अंतिम कदम, और टूटती उम्मीदें
प्रेमिका का दावा है कि जब उमेश ने फंदा लगाया, वह वॉशरूम में थी। जब बाहर आई, तो उमेश की निर्जीव देह पंखे से लटक रही थी। कमरे में खामोशी थी, और खामोशी के बीच गूंज रही थी एक टूटे दिल की चीख। पुलिस को घटना की जानकारी दी गई। उमेश को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस को उमेश के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। परिजनों को सूचना दे दी गई है, जिनका दावा है कि वह कुत्ता उनका है, न कि प्रेमिका का।
कुत्ता बना विवाद की जड़?
सवाल सिर्फ यह नहीं कि उमेश ने आत्महत्या क्यों की, बल्कि यह भी है कि क्या एक पालतू जानवर की देखभाल को लेकर हुआ विवाद किसी इंसान की जान लेने की वजह बन सकता है। प्रेमिका कहती है, वो कुत्ता हमने साथ में पाला था, हमारी ज़िंदगी का हिस्सा था। बस, इलाज को लेकर राय नहीं मिल रही थी, उमेश बहुत भावुक हो गया। उधर, मृतक के परिजन इस दावे को खारिज करते हुए कहते हैं, कुत्ता हमारा है। वो बहाना बना रही है, सच्चाई कुछ और है।
कौन दोषी, कौन निर्दोष?
पुलिस जांच जारी है, लेकिन एक सवाल समाज के सामने खड़ा है। क्या हम इतने असहिष्णु हो चुके हैं कि एक बहस हमारी ज़िंदगी को खत्म करने का कारण बन जाती है? या फिर कहीं न कहीं यह मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी उस खामोशी की तरफ इशारा है, जिसे हम अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
एक होनहार इंजीनियर, एक टूटता रिश्ता, एक बेजुबान जानवर, और एक बंद दरवाजे के पीछे दम तोड़ती ज़िंदगी। यह महज़ एक आत्महत्या नहीं, एक भावनात्मक चेतावनी है—कि संवाद से पहले सन्नाटा न होने दें, और संवेदना को कभी हल्के में न लें।
संवाद बना रहे, जीवन बचा रहे।