वाराणसी: राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने पत्रकार की अस्वस्थ माता का जाना हाल, व्यक्त की संवेदना

असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने रामनगर में पत्रकार मनोज श्रीवास्तव के घर जाकर उनकी अस्वस्थ माता का हालचाल जाना और परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की, जो मानवीय रिश्तों की मिसाल है।

Tue, 15 Apr 2025 21:46:13 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: रामनगर/ राजनीति और सत्ता के गलियारों में अक्सर संवेदनाओं की गूंज कम सुनाई देती है, लेकिन कभी-कभी कुछ दृश्य ऐसे होते हैं जो न केवल इंसानियत की मिसाल बनते हैं, बल्कि समाज को यह भी याद दिलाते हैं कि मानवीय संबंध और संवेदनशीलता आज भी जीवित हैं। ऐसा ही एक दृश्य मंगलवार की दोपहर रामनगर में देखने को मिला, जब असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य अपने व्यस्त सरकारी कार्यक्रमों के बीच पत्रकार मनोज श्रीवास्तव के घर पहुंचे और उनकी अस्वस्थ माता का हालचाल लिया।

राज्यपाल इन दिनों काशी प्रवास पर हैं, जहाँ वह दो दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेने आए थे। इसी कार्यक्रम के दौरान वह रामनगर पहुँचे और शास्त्री चौक स्थित वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव के आवास पर सीधे पहुँचे। वहाँ पहुँचते ही उन्होंने घर की बुजुर्ग और अस्वस्थ सदस्य, 83 वर्षीय विद्या श्रीवास्तव से मुलाकात की, जो पिछले तीन महीनों से गंभीर रूप से अस्वस्थ चल रही हैं।

मुलाकात जो दिलों को छू गई

राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने न केवल माताजी का हालचाल पूछा, बल्कि पूरे परिवार के साथ लगभग 40 मिनट तक आत्मीय संवाद किया। उन्होंने बेहद सादगी और आत्मीयता से बात की, और मनोज श्रीवास्तव के परिवार को भरोसा दिलाया कि इस कठिन समय में वे अकेले नहीं हैं।

राज्यपाल ने कहा, "माताएं हमारी संस्कृति की रीढ़ होती हैं। उनकी सेवा और देखभाल केवल उनके परिवार की नहीं, बल्कि हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। मैं प्रार्थना करता हूँ कि विद्या जी शीघ्र स्वस्थ हों और परिवार को फिर से पहले जैसी ऊर्जा मिल सके।"

उनके साथ आए अन्य अतिथियों, नागेंद्र सिंह रघुवंशी, मुन्ना, डॉ. आर.के. सिंह और शुभम सिंह ने भी माताजी का कुशलक्षेम जाना और परिवार को ढांढस बंधाया।

राजनीति से परे एक आत्मीय रिश्ता

यह मुलाकात केवल एक औपचारिक शिष्टाचार नहीं थी, बल्कि राज्यपाल और पत्रकार मनोज श्रीवास्तव के वर्षों पुराने आत्मीय संबंधों की झलक भी थी। जब पद और प्रतिष्ठा के शिखर पर बैठा कोई व्यक्ति इतने विनम्रता से ज़मीनी रिश्तों को सम्मान देता है, तो वह समाज के लिए एक गहरी सीख बन जाता है।

इस मुलाकात में कोई सुरक्षा घेरा, कोई मीडिया शोर या राजनीतिक भाषण नहीं था। सिर्फ एक बुजुर्ग मां की चिंता, एक बेटे की व्यथा और एक संवेदनशील नेता की आत्मीय उपस्थिति थी।

परिवार के लिए संबल बनी यह भेंट

हमारे संवाददाता से पत्रकार मनोज श्रीवास्तव ने राज्यपाल के इस आत्मीय व्यवहार के लिए आभार जताते हुए कहा, “आज के समय में जब लोग अपने परिवार के लिए भी समय नहीं निकाल पाते, राज्यपाल जी का इस तरह आकर माताजी से मिलना हमारे लिए एक भावुक और अविस्मरणीय पल है। उन्होंने हमें जो भावनात्मक संबल दिया है, वह शब्दों में नहीं बताया जा सकता।”

अंत में, छोड़ गए एक संदेश

मुलाकात के अंत में राज्यपाल ने विद्या श्रीवास्तव के माथे पर हाथ रखकर आशीर्वाद लिया और उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हुए डिरेका गेस्ट हाउस के लिए रवाना हो गए।

यह भेंट सिर्फ एक बीमारी के हालचाल तक सीमित नहीं रही, यह उन मूल्यों की याद दिलाती रही जो आज की दौड़ती दुनिया में कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं। राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य का यह मानवीय पहलू समाज के हर वर्ग को यही सिखाता है कि रिश्ते, संवेदनाएं और आत्मीयता ही असल में मानवता की असली पहचान हैं।

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