Sat, 12 Apr 2025 11:38:10 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: चैत्र पूर्णिमा का पावन दिन और साथ ही वो शुभ अवसर जब रामभक्त हनुमान का जन्मोत्सव मनाया गया। काशी ने इस बार हनुमान जयंती को एक उत्सव नहीं, बल्कि एक भक्ति पर्व में बदल दिया। मंदिरों में घंटों लंबी कतारें, गगनभेदी जयकारे, भव्य शोभायात्राएँ, और हर गली में हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ। यह नज़ारा था उस दिव्य नगरी का, जो हर साल रामभक्ति में डूब जाती है, लेकिन इस बार कुछ अलग था...कुछ अविस्मरणीय।
संकट मोचन मंदिर में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
काशी का संकट मोचन मंदिर इस दिन श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा। अंजनीपुत्र हनुमान के दर्शनों के लिए भक्त तड़के 4 बजे से ही मंदिर के बाहर कतारों में लगने लगे थे। मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया है। फूलों की झालरें, दीपमालाएँ, और मंत्रोच्चारण के साथ भव्य आरती का आयोजन हुआ।
भक्तों ने रामनाम का संकीर्तन करते हुए हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का सामूहिक पाठ किया, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। छोटे बच्चे हनुमान के वेष में, बुज़ुर्ग हाथों में नारियल और प्रसाद लिए हुए, और युवाओं की टोली भक्ति गीतों के साथ झूमती हुई नजर आई।
शोभायात्राओं ने सजाई काशी की गलियाँ
हनुमान जयंती के उपलक्ष्य में पूरे शहर में दर्जनों शोभायात्राओं का आयोजन किया गया। रथों पर भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और बजरंगबली की झांकियाँ सजी थीं। कलाकारों ने रामकथा के प्रसंगों को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। बैंड-बाजों, ढोल-नगाड़ों, और भगवा पताकाओं के साथ इन यात्राओं ने हर गली को एक चलते-फिरते मंदिर में बदल दिया।
हनुमान जी के जन्म का पौराणिक महत्व
हनुमान जयंती हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा को मनाई जाती है, जब माता अंजनी और केसरी के घर पवनदेव के वरदान स्वरूप हनुमान जी का जन्म हुआ था। उन्हें भगवान शिव का रूद्र अवतार भी माना जाता है।
भगवान हनुमान, अपने अतुलनीय बल, अद्भुत भक्ति, गहन ज्ञान और परम विनम्रता के लिए पूजनीय हैं। रामायण में उनकी भूमिका, सीता माता की खोज, लंका दहन और संजीवनी बूटी लाने जैसे कार्यों ने उन्हें अमर बना दिया।
हनुमान जी: संकट मोचक और बल-बुद्धि के देवता
जनमानस में हनुमान जी संकट हरने वाले और बल-बुद्धि के देवता के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उनके नाम से ही भय दूर हो जाता है और उनका स्मरण करने मात्र से आत्मबल की वृद्धि होती है। विशेषकर हनुमान चालीसा का पाठ न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि जीवन के कष्टों से उबरने की शक्ति भी प्रदान करता है।
काशी बनी राम की नगरी
हनुमान जयंती पर काशी ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि यह नगरी केवल मोक्ष की भूमि नहीं, बल्कि भक्ति की भी धरा है। हर मोड़ पर 'जय श्री राम' और 'जय हनुमान' के स्वर गूंज रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो स्वयं रामकथा जीवंत हो गई हो।
हनुमान जयंती का यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान था, बल्कि यह समाज में भक्ति, एकता और भारतीय संस्कृति की गरिमा को पुनः सशक्त करता दिखा। काशीवासियों ने यह साबित कर दिया कि जब बात धर्म और आस्था की हो, तो काशी की चमक सबसे अलग होती है।
जय बजरंगबली।