Thu, 17 Apr 2025 22:19:00 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदरलाल अस्पताल में चिकित्सा जगत की एक उल्लेखनीय उपलब्धि सामने आई है। यहां 20 डॉक्टरों की एक संयुक्त टीम ने डेढ़ साल की एक बच्ची के शरीर से लगभग एक किलो वजनी ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकालकर नया जीवन दिया। यह जटिल सर्जरी करीब 10 घंटे तक चली और इसे दो चरणों में संपन्न किया गया। सर्जरी के बाद बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ है और उसकी आगे की कीमोथेरेपी महामना कैंसर संस्थान में जारी रहेगी।
बच्ची का इलाज बीते डेढ़ महीने से महामना कैंसर अस्पताल में चल रहा था, जहां जांच में सामने आया कि उसके शरीर में बना ट्यूमर गुर्दे से लेकर दिल तक फैल चुका था। प्रारंभिक चरण में ट्यूमर के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए बच्ची को कीमोथेरेपी दी गई, जिससे ट्यूमर पर नियंत्रण पाया जा सके। लेकिन चूंकि ट्यूमर का आकार और उसकी जटिलता अत्यधिक बढ़ चुकी थी, इसलिए बाद में सर्जरी की आवश्यकता पड़ी और बच्ची को बीएचयू के कार्डियोथोरेसिक विभाग में रेफर किया गया।
मार्च के अंत में प्रोफेसर सिद्धार्थ लखोटिया और बाल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर वैभव पांडेय के नेतृत्व में इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी को अंजाम दिया गया। सर्जरी की योजना और सफल कार्यान्वयन में कई विभागों का समन्वित प्रयास शामिल था। रेडियोलॉजी विभाग के डॉ. ईशान के सहयोग से क्लिनिको-रेडियोलॉजिकल मूल्यांकन किया गया, वहीं डॉ. प्रतिभा राय की टीम ने हृदय में ट्यूमर के विस्तार का विश्लेषण कर सटीक रणनीति बनाने में सहायता की। इसके अतिरिक्त डॉ. आरबी सिंह और डॉ. संजीव की टीम ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रोफेसर वैभव पांडेय ने जानकारी दी कि बच्ची की नाजुक उम्र, ट्यूमर के व्यापक प्रसार और सर्जरी के लिए आवश्यक विशेष उपकरणों जैसे छोटे आकार के इंस्ट्रूमेंट्स और बाईपास कैथेटर की जरूरत के कारण यदि यही प्रक्रिया किसी निजी अस्पताल में कराई जाती, तो खर्च कम से कम 25 लाख रुपये तक पहुंच जाता। हालांकि बीएचयू अस्पताल में इस जीवनरक्षक सर्जरी पर मात्र 60 हजार रुपये का खर्च आया, जो सामाजिक और चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
सर्जरी के पहले चरण में प्रोफेसर वैभव पांडेय, डॉ. रुचिरा, डॉ. सेठ, डॉ. भानुमूर्ति, डॉ. मनीष और डॉ. राघव की टीम ने बच्ची के पेट के पास से ट्यूमर को सावधानीपूर्वक हटाया। इसके बाद दूसरे चरण में प्रोफेसर सिद्धार्थ लखोटिया के नेतृत्व में कार्डियक सर्जरी विशेषज्ञों की टीम ने कार्डियक बाइपास प्रक्रिया के अंतर्गत हृदय को खोलकर राइट एट्रियम से ट्यूमर को निकाला। विशेष बात यह रही कि यह सर्जरी 'बीटिंग हार्ट' तकनीक पर की गई, यानी दिल की धड़कन को बिना रोके हुए, जिससे सर्जरी के दौरान जोखिम को कम किया जा सका। इस जटिल प्रक्रिया के दौरान ट्रांस-ईसोफेगल ईको की सहायता ली गई, जिसे डॉ. संजीव और उनकी टीम ने संचालित किया।
इस अद्वितीय और जटिल सर्जरी की सफलता ने बीएचयू अस्पताल के चिकित्सकीय कौशल और संसाधनों की श्रेष्ठता को एक बार फिर सिद्ध कर दिया है। बच्ची के परिजन और अस्पताल प्रशासन दोनों ने चिकित्सा टीम का आभार व्यक्त करते हुए इसे एक चमत्कारी उपलब्धि बताया। अब बच्ची की कीमोथेरेपी महामना कैंसर संस्थान में नियंत्रित ढंग से जारी रहेगी, ताकि वह भविष्य में पूरी तरह स्वस्थ जीवन जी सके।