Wed, 19 Mar 2025 13:50:57 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में मंगलवार तड़के मंगला आरती के दौरान एक अप्रत्याशित घटना घटी। गर्भगृह के समीप स्थित बैकुंठेश्वर महादेव मंदिर के शिखर पर विराजमान दो शीर्ष स्वर्ण कलश बंदरों के उत्पात का शिकार हो गए। बंदरों ने आरती के बीच कलशों को जोर से हिला दिया, जिससे दोनों कलश नीचे गिर गए। हालांकि, गनीमत रही कि मंगला आरती में मौजूद किसी भी श्रद्धालु को कोई चोट नहीं आई और सभी सुरक्षित हैं।
वहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि ये दोनों स्वर्ण कलश लगभग 190 वर्ष पुराने थे। वर्ष 1835 में सिख साम्राज्य के महाराजा रणजीत सिंह द्वारा श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में एक टन का स्वर्ण कलश स्थापित कराया गया था। उसी समय बैकुंठेश्वर महादेव मंदिर के शिखर पर इन शीर्ष कलशों को भी स्थापित किया गया था। इनकी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता अत्यंत गहरी है।
मंदिर प्रशासन ने बताया कि गिरे हुए दोनों स्वर्ण कलशों की लंबाई करीब दो फीट है। इस घटना के चलते बैकुंठेश्वर महादेव के शिखर के ऊपर छह शीर्ष कलशों की कुल ऊँचाई अब छह फीट से घटकर तीन-चार फीट रह गई है। गिराए गए कलशों को सुरक्षित रूप से विश्वनाथ मंदिर कार्यालय में रखवा दिया गया है।
जल्द पुनर्स्थापित होंगे कलश: विशेषज्ञों की टीम तैनात
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के एसडीएम शंभू शरण ने जानकारी दी कि कलशों के पुनर्स्थापन और संरक्षण हेतु विशेषज्ञों से बातचीत हो चुकी है। बुधवार को ज्वेलर्स और पुरातत्व विशेषज्ञों की टीम मंदिर में पहुंचेगी। उनकी देखरेख में स्वर्ण कलशों को यथाशीघ्र पुनः स्थापित किया जाएगा।
मंदिर ट्रस्ट ने नगर निगम से मांगी सहायता
बंदरों के बढ़ते उत्पात से परेशान मंदिर ट्रस्ट और जिला प्रशासन ने विश्वनाथ धाम को बंदरों से सुरक्षित रखने के लिए नगर निगम से सहायता मांगी है। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की सुरक्षा और धरोहरों के संरक्षण को लेकर विशेष योजना बनाई जा रही है।
आकाशीय बिजली से सुरक्षा का भी है जुड़ाव
बीएचयू के पुराविद प्रो. अशोक सिंह ने बताया कि मंदिर के शिखर पर लगाए गए ये कलश महज सजावटी नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अहम हैं। इन स्वर्ण कलशों के जरिए मंदिर शिखर और आसपास के क्षेत्र को आकाशीय बिजली से बचाने में मदद मिलती है। प्रो. सिंह ने कलशों के संरक्षण और मजबूती के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता जताई है।
श्रद्धालुओं में चर्चा, प्रशासन सतर्क
इस घटना के बाद श्रद्धालुओं में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं, प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और मंदिर की ऐतिहासिक धरोहरें सुरक्षित रहें।
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