Thu, 27 Feb 2025 21:25:31 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
भदोही: श्रम विभाग और एएचटीयू (अखिल भारतीय हथकरघा बोर्ड) की संयुक्त टीम ने शुक्रवार को भदोही के जलालपुर मोहल्ले स्थित एक कालीन कंपनी से सात बाल श्रमिकों को मुक्त कराया। बच्चों को श्रम विभाग द्वारा चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) को सौंप दिया गया है। बच्चों का आयु परीक्षण किया जा रहा है। श्रम विभाग के अनुसार, इन बच्चों से प्रतिदिन 14 घंटे तक काम कराया जाता था। सभी बच्चे बिहार के अररिया जिले के निवासी हैं।
श्रम विभाग को सूचना मिली थी कि भदोही के जलालपुर इलाके में एक कालीन कंपनी में बच्चों से कालीन बुनाई का काम कराया जा रहा है। इस सूचना के बाद श्रम विभाग और एएचटीयू की संयुक्त टीम ने कंपनी पर छापा मारा। छापे के दौरान टीम को सात बाल श्रमिक काम करते हुए मिले। टीम ने सभी बच्चों को वहां से निकालकर कागजी प्रक्रिया पूरी की और उन्हें सीडब्ल्यूसी को सौंप दिया।
श्रम प्रवर्तन अधिकारी जेपी सिंह ने बताया कि जलालपुर मोहल्ले में अकरम नाम के एक व्यक्ति की कालीन बुनाई की इकाई चल रही है, जहां से ये बच्चे बरामद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों का आयु परीक्षण किया जा रहा है। यदि उनकी उम्र 14 वर्ष से कम पाई जाती है, तो बाल श्रम अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पूछताछ में पता चला है कि बच्चों से कंपनी में 14-14 घंटे तक कालीन बुनाई का काम कराया जाता था। सभी बच्चे बिहार के अररिया जिले के हैं। श्रम विभाग ने बच्चों का मेडिकल परीक्षण भी कराया है।
श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच सालों में कालीन उद्योग से जुड़े 178 अभियान चलाए गए हैं, जिनमें अब तक 103 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया जा चुका है। इनमें भदोही के 19, जौनपुर के 5, वाराणसी के 1, पश्चिम बंगाल के 16, बिहार के 29 और छत्तीसगढ़ के 33 बच्चे शामिल हैं।
कालीन कंपनियों की ओर से अक्सर दावा किया जाता है कि उनकी इकाइयों में बाल श्रमिकों से काम नहीं कराया जाता है, लेकिन दलालों की सक्रियता के कारण अक्सर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। श्रम विभाग ने इस संबंध में कड़ी निगरानी बनाए रखने और बाल श्रम को रोकने के लिए अभियान जारी रखने का संकल्प जताया है।
इस घटना ने एक बार फिर बाल श्रम की समस्या को उजागर किया है। श्रम विभाग ने आगे भी ऐसे अभियान जारी रखने और बाल श्रमिकों को मुक्त कराने का संकल्प दोहराया है।