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वाराणसी: रामनगर-नाम बदलवाने के लिए मांगी रिश्वत, ज़ोनल अधिकारी पर लगा भ्रष्टाचार का आरोप, मचा हड़कंप

वाराणसी: रामनगर-नाम बदलवाने के लिए मांगी रिश्वत, ज़ोनल अधिकारी पर लगा भ्रष्टाचार का आरोप, मचा हड़कंप

वाराणसी के रामनगर में नाम बदलवाने के आवेदन पर रिश्वत मांगने का आरोप सामने आया है। अमित राय ने ज़ोनल अधिकारी पर भ्रष्टाचार और जातिगत भेदभाव का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार से शिकायत की है।

वाराणसी: रामनगर क्षेत्र से एक चौंका देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे नगर प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है। नाम बदलवाने के एक साधारण से आवेदन को लेकर शुरू हुआ यह मामला अब एक बड़े भ्रष्टाचार और जातिगत भेदभाव के आरोपों में तब्दील हो चुका है। शिकायतकर्ता अमित राय, निवासी कोदोपुर, वाराणसी ने जोनल अधिकारी रामनगर के खिलाफ एक बेहद गंभीर और मार्मिक शिकायती पत्र राज्य सरकार और नगर विकास मंत्री को भेजा है।

मामले की शुरुआत: मासूम 'Advik' को 'Vadent' बनाना था

अमित राय ने अपने भतीजे का नाम जन्म पत्र में Advik Rai से बदलकर Vadent Rai करने का आवेदन 28 मार्च 2025 को नगर आयुक्त वाराणसी को दिया था। नाम परिवर्तन की यह मांग पूरी तरह धार्मिक विश्वास और पारिवारिक ज्योतिषीय सलाह पर आधारित थी, जिसे हिन्दू सनातन परंपरा में विशेष महत्व दिया जाता है। सभी आवश्यक दस्तावेज – हलफनामा, माता-पिता के आधार-पैन कार्ड, और गवाहियाँ – साथ में संलग्न किए गए थे।

नगर आयुक्त की तत्परता – पर ज़ोनल ऑफिस में फंसी फाइल

नगर आयुक्त ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मामले को ज़ोनल कार्यालय रामनगर को अग्रसारित किया। लेकिन वहां जो हुआ, उसने सारी प्रक्रिया को शर्मसार कर दिया।

अमित राय का आरोप है कि ज़ोनल अधिकारी के कार्यालय से एक कर्मचारी ने उन्हें कॉल कर ₹5000 रिश्वत की मांग की और कहा कि बिना पैसे दिए नाम बदलना "संभव नहीं" है। जब उन्होंने पैसे देने से मना किया, तो अधिकारी की तरफ से व्यवहार न केवल असंवेदनशील बल्कि अपमानजनक होता चला गया।

जातीय टिप्पणी और सत्ता का अहंकार

सबसे चौंकाने वाली बात तब हुई जब 9 अप्रैल को ज़ोनल कार्यालय जाकर अमित राय ने खुद मिलने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि ज़ोनल अधिकारी ने खुद को ‘दलित’ बताते हुए यह कहा, “मैं भूमिहार, ठाकुर और पंडितों का काम करने नहीं आया हूं। मेरी प्राथमिकता मेरी जाति है। जो करना है कर लो, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”

यह बयान केवल जातिगत द्वेष नहीं दर्शाता बल्कि प्रशासनिक सत्ता का दुरुपयोग भी साफ झलकाता है।

विकृत समाधान – नाम के साथ जोड़-तोड़ की पेशकश

रिश्वत न देने पर अधिकारी ने नया ‘समझौता’ यह सुझाया कि बच्चे के नाम को Advik Rai उर्फ़ Vadent Rai कर दिया जाए, जिसे माता-पिता ने सिरे से खारिज कर दिया। यह सुझाव इस बात का प्रमाण है कि अधिकारी नाम संशोधन को कानूनी प्रक्रिया की बजाय मनमाने तरीके से चलाना चाहते थे।

नगर विकास मंत्री से मांग: “रामनगर ज़ोन से हटाया जाए अधिकारी”

अमित राय ने मुख्यमंत्री, नगर विकास मंत्री, महापौर सहित तमाम उच्चाधिकारियों को संबोधित कर यह मांग की है कि ज़ोनल अधिकारी मनोज सिंह को तत्काल प्रभाव से रामनगर से हटाया जाए और इस प्रकरण में कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

यूपी खबर की विशेष मांग:

1. उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की जाए।

2. ज़ोनल अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार और जातीय भेदभाव जैसे गंभीर आरोपों पर एफआईआर दर्ज हो।

3. राज्य सरकार सुनिश्चित करे कि प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारी संविधान के सिद्धांतों का पालन करें।

इस घटना ने न केवल एक परिवार को अपमानित किया बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे पर सवाल खड़ा कर दिया है। क्या अब भी सरकार चुप रहेगी? या जवाबदेही तय की जाएगी? यूपी खबर इस मुद्दे पर लगातार नज़र रखेगा।

Published By : SANDEEP KR SRIVASTAVA Updated : Thu, 10 Apr 2025 08:02 PM (IST)
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Tags: varanasi news corruption allegation ramnagar case

Category: crime uttar pradesh

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