Thu, 20 Mar 2025 12:30:53 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: कमिश्नरेट पुलिस ने साइबर जालसाजों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए पहली बार गैंगस्टर एक्ट के तहत कड़ी कार्यवाही की है। कैंट थाना पुलिस ने जिला जेल में निरुद्ध सात साइबर अपराधियों पर उत्तर प्रदेश गिरोहबंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम (गैंगस्टर एक्ट) के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया है। यह गिरोह वर्षों से विभिन्न राज्यों में साइबर ठगी को अंजाम देता आ रहा था।
यह कार्यवाही भेलूपुर थाना क्षेत्र में जून 2024 में दर्ज एक बड़े ठगी के मामले के बाद की गई है। तेजस्वी शुक्ला नामक व्यक्ति ने भेलूपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि उनसे फर्जी दस्तावेजों के आधार पर KIA कार एजेंसी दिलाने के नाम पर 72 लाख रुपये की ठगी की गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए वाराणसी क्राइम ब्रांच, एसओजी और भेलूपुर पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए नौ साइबर जालसाजों को गिरफ्तार किया था।
जांच के दौरान खुलासा हुआ कि इस पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड प्रियरंजन कुमार है, जो बिहार के नालंदा जिले का निवासी है। प्रियरंजन और उसके सहयोगी न केवल बिहार में, बल्कि झारखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी साइबर ठगी के जरिए लोगों को निशाना बना चुके हैं। इनके गिरोह में प्रभाकर, हिमांशु राज, आलोक कुमार, दीपक कुमार, सत्येंद्र सुमन, सौरव कुमार, रमेश सिंह भूटोला और रंजन कुमार शामिल हैं, सभी नालंदा के रहने वाले हैं।
कैंट थाना प्रभारी राजकुमार शर्मा ने बताया कि भेलूपुर पुलिस द्वारा सभी आरोपियों का गैंगचार्ट तैयार कर कैंट थाने को भेजा गया था। गहन विवेचना और अपराधियों की गतिविधियों के अवलोकन में यह सामने आया कि गिरोह सुनियोजित तरीके से बड़े पैमाने पर साइबर ठगी में संलिप्त है। सभी आरोपी समान रूप से अपराध में भागीदार हैं और आपस में गठजोड़ कर लोगों को फंसाते थे।
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि इन अपराधियों के रसूख और सफेदपोश छवि के चलते आम लोग इनके खिलाफ आवाज उठाने से डरते थे। समाज में इनका भय इस कदर है कि पीड़ित इनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने में हिचकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए वाराणसी पुलिस ने उत्तर प्रदेश गिरोहबंद अधिनियम 1986 की धारा 3(1) के तहत एफआईआर दर्ज कर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की है।
वाराणसी पुलिस की इस कार्रवाई से साफ संदेश गया है कि साइबर अपराध में लिप्त किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस अब न केवल गिरफ्तारियों पर जोर दे रही है, बल्कि ऐसे गिरोहों के नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने के लिए कानूनी रूप से भी ठोस कदम उठा रही है।