Sat, 01 Mar 2025 12:25:50 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: आने वाले दिनों में शहर की जलापूर्ति व्यवस्था पूरी तरह से प्राइवेट हाथों में चली जाएगी। इसके लिए प्रदेश के दो प्रमुख शहरों लखनऊ और वाराणसी का चयन किया गया है। इन शहरों में जलापूर्ति की व्यवस्था को पूरी तरह से ऑटोमेटिक करने की योजना बनाई गई है। वाराणसी में गंगा नदी से पानी खींचकर, उसे शुद्ध करने और फिर टंकियों में भरकर आपूर्ति करने की प्रक्रिया स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डेटा एक्विजिशन) सिस्टम के माध्यम से संचालित की जाएगी।
इस नई व्यवस्था में किसी भी तरह के मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होगी। मौजूदा जलकल विभाग के कर्मचारी और अधिकारी केवल मॉनीटरिंग और लीकेज जैसी समस्याओं को दुरुस्त करने का काम करेंगे। पिछले दिनों नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने सर्किट हाउस में हुई एक बैठक में अधिकारियों के साथ इस योजना पर विस्तार से चर्चा की थी।
नगर में जलापूर्ति की निगरानी और नियंत्रण के लिए स्काडा सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। इस सिस्टम के माध्यम से घरों में पानी का प्रेशर कम होने या पेयजल लाइन में लीकेज होने की स्थिति में तुरंत सूचना मिल जाएगी। यह प्रणाली पेयजल समस्याओं के त्वरित निवारण और जल संरक्षण के लिए कारगर साबित होगी।
इस योजना के तहत सभी घरों के वाटर मीटर, ट्यूबवेल, वॉल्व, टंकी आदि स्थानों पर चिप-सेंसर लगाए जाएंगे। इसके साथ ही मॉनीटरिंग के लिए एक केंद्रीय कंट्रोल रूम स्थापित किया जाएगा। कंप्यूटर की एक कमांड पर पूरी पेयजल वितरण प्रणाली काम करेगी।
स्काडा सिस्टम के माध्यम से हर घर में पानी की ऑनलाइन निगरानी की जाएगी। इसके लिए हर घर की एक विशेष आईडी बनाई जाएगी, जिसमें परिवार के सदस्यों की संख्या और अन्य जरूरी जानकारियां शामिल होंगी। इस सिस्टम के जरिए घरों में आने वाले पानी की मात्रा, खपत, प्रेशर और पेयजल से जुड़ी समस्याओं की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध होगी।
स्काडा सिस्टम लगने के बाद शहर में संचालित ट्यूबवेल ऑटोमेटिक ऑन-ऑफ होंगे। पूरे शहर में एक साथ पानी की सप्लाई शुरू होगी और बंद होगी। इससे कहीं पानी की बर्बादी हो रही है और कहीं पानी की कमी है, ऐसी स्थिति नहीं रहेगी।
इस नई व्यवस्था का उद्देश्य जलापूर्ति को अधिक कुशल, पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाना है। साथ ही, यह योजना जल संरक्षण और पेयजल समस्याओं के त्वरित समाधान में भी मददगार साबित होगी। लखनऊ और वाराणसी में इस प्रणाली के सफल क्रियान्वयन के बाद इसे अन्य शहरों में भी लागू किया जा सकता है।