Sun, 30 Mar 2025 01:54:48 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी के भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय पर नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स तथा विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में आयोजित महाविशाल बिजली महापंचायत में निजीकरण के खिलाफ गगनभेदी नारों के साथ प्रस्ताव पारित किया गया। हजारों की संख्या में जुटे बिजली कर्मचारियों और आम नागरिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को निरस्त करने की पुरजोर मांग की।
बिजली महापंचायत में दिखा विशाल जनसमर्थन इस ऐतिहासिक महापंचायत में संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक ई. शैलेंद्र दुबे ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक ने निगम परिसर में बिजली महापंचायत को रोकने के लिए मुख्य द्वार बंद करवा दिया, लेकिन इसके बावजूद हजारों की भीड़ ने तीन घंटे तक शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराया।
निजीकरण से बढ़ेंगी बिजली दरें, जनता होगी प्रभावित बिजली महापंचायत में पारित प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया कि निजीकरण से न केवल बिजली कर्मचारियों को नुकसान होगा, बल्कि उपभोक्ताओं की जेब पर भी भारी असर पड़ेगा। उदाहरण के तौर पर, मुंबई में घरेलू बिजली दरें 17 से 18 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच चुकी हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में अधिकतम दर 6.50 रुपये प्रति यूनिट है। कोलकाता और दिल्ली में भी निजीकरण के बाद बिजली दरें क्रमश: 12 रुपये और 10 रुपये प्रति यूनिट हो गई हैं। आगरा में टोरेंट पावर कंपनी के आने के बाद किसानों को ट्यूबवेल के लिए मुफ्त बिजली तक नहीं मिल रही है।
निजीकरण से नुकसान, सरकारी व्यवस्था ही लाभकारी महापंचायत में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, आगरा और कानपुर का एक साथ निजीकरण प्रस्तावित था, लेकिन विरोध के चलते केस्को (कानपुर) को सरकारी नियंत्रण में रखा गया। नतीजतन, आज आगरा में एटी एंड सी हानियां 9.86% हैं जबकि कानपुर में यह केवल 8.6% है। साथ ही, आगरा में पावर कॉरपोरेशन 5.55 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदकर टोरेंट पावर को 4.36 रुपये में बेचने से 275 करोड़ रुपये वार्षिक नुकसान उठा रहा है। वहीं, सरकारी नियंत्रण वाले केस्को से 7.96 रुपये प्रति यूनिट की राजस्व वसूली हो रही है।
संविदा कर्मचारियों के हितों की अनदेखी पर आक्रोश महापंचायत में मार्च 2023 की हड़ताल के बाद भी संविदा कर्मचारियों की बहाली न होने को लेकर गहरी नाराजगी देखी गई। प्रस्ताव में मांग की गई कि सभी संविदा कर्मचारियों को तत्काल पुनः नियुक्त किया जाए और उन्हें स्मार्टफोन खरीदकर फेसियल अटेंडेंस प्रणाली लागू करने के लिए बाध्य न किया जाए।
लखनऊ रैली में निर्णायक संघर्ष की तैयारी महापंचायत में 9 अप्रैल को लखनऊ में होने वाली विशाल रैली में शामिल होने का आह्वान किया गया। संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने इस रैली को निर्णायक लड़ाई का शंखनाद बताया।
महत्वपूर्ण हस्तियां हुईं शामिल इस अवसर पर नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के प्रतिनिधि सुभाष लांबा, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के उपाध्यक्ष जयप्रकाश, राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के अध्यक्ष अजय कुमार, शिक्षक नेता रीना त्रिपाठी सहित विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के अनेक वरिष्ठ पदाधिकारियों ने सभा को संबोधित किया।
बिजली महापंचायत में पारित प्रस्ताव के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावी हस्तक्षेप कर बिजली के निजीकरण को रोकने की अपील की गई। आंदोलन की इस बुलंद आवाज ने प्रदेश सरकार को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि जनता और बिजली कर्मी किसी भी कीमत पर निजीकरण को स्वीकार नहीं करेंगे।