Sun, 13 Apr 2025 22:03:22 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राजनीति में रविवार का दिन एक भावनात्मक और निर्णायक मोड़ लेकर आया। एक तरफ आकाश आनंद ने सार्वजनिक मंच पर अपनी गलतियों को स्वीकारते हुए पार्टी सुप्रीमो मायावती से क्षमा याचना की, तो दूसरी तरफ बहनजी ने एक बार फिर अपने विशाल हृदय का परिचय देते हुए उन्हें माफ कर दिया और पार्टी में दोबारा सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर प्रदान किया।
आकाश आनंद, जिन्हें कुछ समय पहले बसपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था, ने आज सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व ट्विटर) पर चार पोस्ट करते हुए अपनी हर भूल की सार्वजनिक रूप से जिम्मेदारी ली। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अब वह किसी भी नाते-रिश्तेदार, खासकर अपने ससुर की सलाह को दरकिनार करते हुए केवल पार्टी और मूवमेंट के लिए काम करेंगे।
मायावती ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, "आकाश आनन्द द्वारा एक्स पर आज अपने चार पोस्ट में सार्वजनिक तौर पर अपनी गलतियों को मानने व सीनियर लोगों को पूरा आदर-सम्मान देने के साथ ही अपने ससुर की बातों में आगे नहीं आकर बीएसपी पार्टी व मूवमेन्ट के लिए जीवन समर्पित करने के मद्देनजर इन्हें एक और मौका दिए जाने का निर्णय।"
इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह पूरी तरह स्वस्थ हैं और जब तक स्वास्थ्य ठीक रहेगा, तब तक वह मान्यवर कांशीराम के आदर्शों पर चलकर पार्टी और आंदोलन के लिए पूरी निष्ठा से कार्य करती रहेंगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके उत्तराधिकारी को लेकर कोई चर्चा या अटकलें व्यर्थ हैं क्योंकि वह अपने निर्णयों पर अडिग हैं।
हालांकि आकाश आनंद को माफी और मौका मिल गया है, लेकिन उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ को लेकर मायावती का रुख बेहद सख्त रहा। उन्होंने कहा कि अशोक सिद्धार्थ की पार्टी विरोधी गतिविधियां और गुटबाजी अक्षम्य हैं। साथ ही यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने आकाश के राजनीतिक कैरियर को भी नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसे में उन्हें माफ करने का सवाल ही नहीं उठता।
आकाश का पश्चाताप और संकल्प
आज के दिन आकाश आनंद की ओर से किया गया आत्ममंथन भी कम अहम नहीं रहा। उन्होंने अपने बयान में मायावती को एकमात्र राजनीतिक मार्गदर्शक और आदर्श बताते हुए कहा, "मैं आज यह प्रण लेता हूं कि बहुजन समाज पार्टी के हित के लिए मैं अपने रिश्ते-नातों को, विशेषकर अपने ससुराल पक्ष को, किसी भी सूरत में बाधा नहीं बनने दूंगा।"
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पूर्व में किए गए कुछ ट्वीट्स से बहनजी की भावनाओं को ठेस पहुंची, जिसकी उन्हें गहरी आत्मग्लानि है। उन्होंने भविष्य में पूरी निष्ठा से वरिष्ठों का सम्मान करने और पार्टी के दिशा-निर्देशों का पालन करने का वचन भी दिया।
राजनीति में जहां अहं और महत्वाकांक्षा अक्सर रिश्तों को पीछे छोड़ देते हैं, वहीं आज का दिन यह साबित करता है कि आत्ममंथन, सच्ची क्षमा याचना और मार्गदर्शन में आस्था से पुनः मार्ग प्रशस्त हो सकता है। मायावती की इस क्षमाशीलता ने न केवल आकाश आनंद को एक नई राह दी है, बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के दिलों में भी यह संदेश भर दिया है कि बसपा आज भी अपने मूल सिद्धांतों, अनुशासन, आदर्श और आत्म-समर्पण, पर मजबूती से कायम है।
बसपा की यह अंदरूनी हलचल अब आने वाले समय में पार्टी के भविष्य की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है।