Fri, 17 Jan 2025 18:07:57 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
VARANASI : IIT-BHU गैंगरेप मामले में शुक्रवार को डॉक्टर अनामिका ने कोर्ट में पेश होकर दो पन्नों का बयान दर्ज कराया। इस बयान में कई अहम तथ्य सामने आए। डॉक्टर ने बताया कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में कोई आंतरिक चोट नहीं मिली है। हालांकि, बाहरी हिस्सों पर खरोंचों के निशान पाए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मेडिकल जांच में शुक्राणु नहीं मिले हैं, लेकिन सेक्स से संबंधित हिंसा की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
डॉक्टर ने बयान में कहा, मैंने 5 नवंबर 2023 को पीड़िता का मेडिकल परीक्षण किया था। उसकी स्थिति स्थिर थी और वह पूरी तरह होश में थी। परीक्षण में यह स्पष्ट हुआ कि रेप का प्रयास किया गया था, लेकिन इसे पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता। पीड़िता और उसके दोस्त की भूमिका पर सवाल : 15 जनवरी को कोर्ट ने डॉक्टर के बयान के साथ-साथ पीड़िता के दोस्त को भी आरोपियों की पहचान के लिए बुलाया था। हालांकि, दोस्त शुक्रवार को भी कोर्ट नहीं पहुंचा। दूसरी ओर, पीड़िता ने पहले ही कहा था कि उसके साथ जबरदस्ती की गई। उसने आरोप लगाया कि उसके कपड़े फाड़ दिए गए और प्राइवेट पार्ट पर जबरदस्ती की गई। डॉक्टर के बयान और मेडिकल रिपोर्ट में इस दावे को आंशिक रूप से समर्थन मिला है।
पीड़िता की आपबीती : पीड़िता ने 22 अगस्त 2024 को कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया। उसने बताया कि तीनों आरोपियों ने उसके साथ दरिंदगी की, धमकाया, और घटना के बाद भाग निकले। उसने कहा कि इस घटना के बाद से वह भारी मानसिक दबाव महसूस कर रही है और बाहर आने-जाने में उसे डर लगता है। इसी कारण से वह ज्यादातर समय अपने हॉस्टल में रहती है।
कोर्ट में बार-बार बयान और जमानत पर सवाल : फास्ट ट्रैक कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जुलाई 2024 में शुरू हुई। पीड़िता को अब तक 12 बार कोर्ट में बुलाया जा चुका है। जुलाई से दिसंबर तक कोर्ट ने आठ बार उससे जिरह की, लेकिन आरोपियों की मौजूदगी में यह प्रक्रिया उसके लिए और कठिन हो गई। इसी बीच तीनों आरोपियों को जमानत मिल गई।
पहले आरोपी आनंद ने 11 नवंबर 2023 को हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की। परिजन की बीमारी का हवाला देते हुए कोर्ट ने 2 जुलाई 2024 को उसकी जमानत मंजूर कर ली। इसके बाद कुणाल और सक्षम ने भी जमानत की अपील की, जो जुलाई 2024 में स्वीकृत हुई। सक्षम पटेल के मामले में अभियोजन की कमजोर दलीलें और ठोस सबूतों की कमी के कारण कोर्ट ने उसे भी राहत दी।
न्याय की धीमी गति पर चिंता : पीड़िता के बयान पर बार-बार जिरह और आरोपियों की जमानत से न्यायिक प्रक्रिया की धीमी गति पर सवाल उठ रहे हैं। पीड़िता का कहना है कि कोर्ट में आरोपियों की मौजूदगी उसे असहज और डरा देती है। वह चाहती है कि उसे जल्द से जल्द न्याय मिले और दोषियों को सजा दी जाए।
अभियोजन की उम्मीद : अभियोजन की वकील बिंदू सिंह का कहना है कि कोर्ट ने मामले की सुनवाई तेज कर दी है और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए हरसंभव कोशिश की जा रही है। यह मामला न्यायिक प्रक्रिया में लोगों का विश्वास बहाल करने के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है।
अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में कोर्ट का फैसला क्या होता है और यह केस पीड़िता को न्याय दिलाने में कितनी जल्दी और सख्ती से आगे बढ़ता है।