Thu, 10 Apr 2025 18:41:18 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
आजमगढ़: गुरुवार का दिन आजमगढ़ जिले के लिए एक काली सुबह बनकर आया। अहरौला और सरायमीर थाना क्षेत्रों में बिजली गिरने की दो अलग-अलग घटनाओं ने दो परिवारों की खुशियाँ छीन लीं और पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया।
अहरौला में मां की आंखों के सामने गिरी मौत
रेढा गांव की 23 वर्षीय संजू के सपनों ने शायद ही सोचा होगा कि उसका जीवन यूं अधूरा छूट जाएगा। सुबह वह अपनी मां के पास से कुछ भूसा लेकर लौट रही थी कि तभी गगन से गिरी एक भयावह चिंगारी ने उसे अपनी चपेट में ले लिया। तेज गर्जना के बाद बिजली गिरी और संजू वहीं झुलस कर गिर पड़ी। मां की चीखें आसमान को चीरती हुईं दूर-दूर तक गूंज उठीं, और कुछ ही पलों में गांव वाले दौड़ पड़े उस जगह की ओर जहां ज़िंदगी और मौत की जंग चल रही थी।
स्थानीय लोग उसे अहरौला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने जब उसे मृत घोषित किया, तो परिवार की दुनिया ही उजड़ गई। तीन भाई-बहनों में दूसरी संजू अब सिर्फ तस्वीरों और यादों में रह गई है। घर में मातम का ऐसा सन्नाटा पसरा है कि दीवारें भी रोती नजर आ रही हैं।
सरायमीर में दामाद से मिलने आया बुजुर्ग नहीं लौटा वापस
दूसरी घटना सरायमीर थाना क्षेत्र के छित्तेपुर बाजार की है, जहां 65 वर्षीय जाकिर, जो बैरिडीह गांव के निवासी थे, अपनी बेटी के घर मिलने आए थे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। अचानक हुई बारिश और गरजते बादलों के बीच बिजली गिरने से उनकी मौके पर ही मौत हो गई। बेटी के घर का आंगन, जहां कुछ वक्त पहले मुस्कान बिखरी थी, अब सिसकियों की गूंज से भर गया है।
बिहार में भी कहर की दस्तक
वहीं उत्तर प्रदेश की ही तरह बिहार में भी आसमान से आई आफत ने तबाही मचा दी। आठ जिलों में बिजली गिरने से अब तक 22 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। मधुबनी में प्रसिद्ध वाचस्पति नाथ महादेव मंदिर का शिखर क्षतिग्रस्त हो गया, और सहरसा में बिजली गिरते ही एक ताड़ का हरा-भरा पेड़ जलकर राख हो गया।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। ग्रामीण इलाकों में बिजली गिरने से जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। लोग डरे हुए हैं, सहमे हुए हैं और ऊपर वाले से रहम की गुहार लगा रहे हैं।
सरकार से मांग – अब और नहीं सहेंगे बेबसी
हर साल बिजली गिरने से सैकड़ों जिंदगियां खत्म हो जाती हैं, लेकिन रोकथाम और चेतावनी प्रणाली अब भी बेहद कमजोर है। ग्रामीण क्षेत्रों में संवेदनशीलता ज्यादा होने के बावजूद सुरक्षा उपाय नाकाफी हैं। इन घटनाओं ने फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक हमारे गांवों की जिंदगियां इस तरह चुपचाप बुझती रहेंगी।
उम्मीद की लौ
हालांकि मौतें लौट कर नहीं आतीं, लेकिन उनके पीछे छूटे आंसू और सिसकियाँ जिम्मेदारी का सवाल जरूर छोड़ जाती हैं। यूपी और बिहार की ये घटनाएं केवल आँकड़े नहीं, बल्कि चेतावनी है। प्रकृति के क्रोध को नजरअंदाज करना अब संभव नहीं।
संवेदना के साथ – यूपी खबर परिवार की ओर से पीड़ित परिवारों को श्रद्धांजलि
हम प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर इस दुख की घड़ी में परिवारों को संबल दें और प्रशासन से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द मुआवजा एवं सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किए जाएं ताकि भविष्य में किसी की ज़िंदगी यूं अचानक छीन न जाए।